Published On Premiered Oct 14, 2023
आजु से नवरात्र शुरू हो ता। त सोचनी ह कि माई के सब भगक्तन के ई मौक़ा पर मिथिला के अनमोल रतन आ बिहार के शान कवि विद्यापति के ई कविता सुनवावल जाव। त सुनी सभन आ नीक लागे तक शेयर क के हितो कुटुंब तक चहुँपा देहम।
दुर्गा माई सगरो सुख शांति आ आनंद बनइले रहस। जय हो। 🙏🏻🙏🏻
(पूरे विश्व में आज भारतीयता अपनी जिस विशिष्ट पहचान पर गर्व करती है उसमें नवरात्र के रूप में नौ दिनों तक देवी पूजन का यह पुरातन अनुष्ठान भी शामिल है जिसे हमारी उत्सवधर्मिता अब एक त्योहार के रूप में मनाती है।
संपूर्ण सृष्टि को अपनी सत्ता से संचालित करने वाली स्वामिनी के अर्थ में ‘शक्ति’ और इस दुनिया में कोमलता की समस्त संभावनाओं को अपने अपार अनुग्रह जल से सदा सिंचित रखने वाली अखंड स्नेह स्त्रोत के रूप में ‘देवी मॉं’ की अराधना का महापर्व आज से शुरू हो रहा है।
इस शारदीय नवरात्र के प्रथम दिन मॉं चंद्रघंटा की आराधना के लिए अनंत शुभकामनाओं के साथ आप सबको समर्पित है सुर और लय से सजा मैथिल कवि कोकिल विद्यापति का यह अमर छंद :
जय-जय भैरवि असुर भयाउनि 🙏🏻🙏🏻)
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